कोविड-19अपडेट

    राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान के अंतर्गत अब तक 80.43 करोड़ वैक्सीन
दिल्ली।राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान के अंतर्गत अब तक 80.43 करोड़ वैक्सीन की खुराकें लगाई गई हैं पिछले 24 घंटों के दौरान भारत में 30,773 नए मामले सामने आए सक्रिय मामले कुल मामलों के 0.99 प्रतिशत हैं,भारत में वर्तमान में 3,32,158 सक्रिय मामले हैं।
वर्तमान में रिकवरी दर 97.68 प्रतिशत है पिछले 24 घंटों के दौरान 38,945 रोगी स्वस्थ हुए, देश भर में अभी तक कुल 3,26,71,167 मरीज स्वस्थ हुए साप्ताहिक पॉजिटिविटी दर वर्तमान में 2.04 प्रतिशत है; पिछले 86 दिनों से 3 प्रतिशत से कम है दैनिक पॉजिटिविटी दर 1.97 प्रतिशत है,पिछले 20 दिनों से 3 प्रतिशत से कम अभी तक कुल 55.23 करोड़ जांचें की जा चुकी हैं

सिरके में प्याज डुबोकर खाने के ये फायदे जानकर आप हो जायेगे हैरान

    सिरके में प्याज डुबोकर खाना सिर्फ स्वाद ही नहीं देता, बल्कि स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाता है
    -विनेगर में प्याज डुबोकर खाना कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करने में मददगार होता है
    -प्याज से बैड कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करने में मदद मिलती है
    हर दिन सिरके वाली प्याज खाने से गुड कोलेस्ट्रॉल भी बढ़ता है
नई दिल्ली: प्याज को सुपरफूड माना जाता है और डाइट में इसे शामिल करना आपको कई तरह से फायदा पहुंचाता है,वहीं विनेगर में प्याज को डुबोकर खाने से भी आपको कई फायदे मिलते हैं,सिरके वाली प्याज आपने ज्यादातर रेस्टोरेंट में खाई होगी, लेकिन आप इसे घर पर भी खा सकते हैं। ये स्वाद ही नहीं, आपकी सेहत के लिए भी फायदेमंद रहेगा।
प्याज को सिरके में डालने से इसका पोषण और अधिक बढ़ जाता है,प्याज को व्हाइट विनेगर में डालने से ये विटामिन B9, फोलेट जैसे कई तरह के विटामिन और मिनरल्स से भरपूर हो जाती है। सिरके वाली प्याज आपके दिल लिए तो अच्छी है ही, इससे पाचन क्रिया भी अच्छा होता है, इसमें प्रोबायोटिक्स होते हैं, जो आपके पेट में हेल्दी इंजाइम को प्रोड्यूस करने में मदद करता हैं।
    विनेगर में डुबोकर प्याज को खाने से कोलेस्ट्रॉल लेवल भी ठीक रहता है
विनेगर में डुबोकर प्याज को खाने से कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करने में भी मददगार होता है, Chinese University of Hong Kong की एक स्टडी के मुताबिक, प्याज से बैड कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करने में मदद मिलती है। रोज सिरके वाली प्याज खाने से गुड कोलेस्ट्रॉल भी बढ़ता है,यही नही प्याज में एलिल प्रोपाइल डाइसल्फाइड होता है, जो ब्लड शुगर लेवल को बैलेंस करने में मदद करता है,वहीं विनेगर में भी ऐसी प्रॉपर्टीज होती हैं, जो शुगर को कंट्रोल करने में मददगार होती हैं सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन की एक स्टडी के मुताबिक, व्हाइट विनेगर शुगर को कंट्रोल करने का काम करता है।
    प्रोस्टेट कैंसर के खतरे को कम करता है
नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट (National Cancer Institute) के जर्नल में छपी स्टडी के मुताबिक, लहसुन और प्याज का नियमित सेवन प्रोस्टेट कैंसर के खतरे को कम करता है. एक अन्य स्टडी में भी ये सामने आया है कि प्याज खाने से पेट और स्तन कैंसर का खतरा कम होता है.

सरसो के तेल में मिलावट की कैसे करे पहचान

    FSSAI ने तेल में मिलावट की जांच का तरीका ट्विटर हैंडल पर किया पोस्ट
    FSSAI ने बताया, कई बार सरसों के तेल में Metanil Yellow की की जाती है मिलावट
नई दिल्ली: सरसों के तेल (Mustard Oil) के बढ़ते दामों के साथ इसमें मिलावट की संभावना भी बढ़ गई है. ऐसा संभव है कि आप जो सरसों का तेल बाजार से लेकर आए हैं, उसमें जहरीली मिलावट की गई हो. FSSAI ने इसे लेकर आगाह किया है और बताया है कि सरसों के तेल में मिलावट को आप कैसे पहचान सकते हैं.Metanil Yellow की मिलावट
फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया अक्सर सोशल मीडिया पर खाने की चीजों में मिलावट की पहचान और जांच के तरीके को लेकर वीडियो शेयर करता है.FSSAI के मुताबिक, कई बार सरसों के तेल में Metanil Yellow की मिलावट की जाती है. यह एक तरह का रंग होता है, जिसका इस्तेमाल प्रतिबंधित है.
    जांच का आसान तरीका
अगर आप तेल की शुद्धता की जांच करना चाहते हैं, तो इसका तरीका आसान है. एक टेस्ट ट्यूब में 1 एमएल सरसों का तेल लें और इसमें 4 एमएल डिस्टिल्ड वॉटर मिलाएं. टेस्ट ट्यूब को हिलाएं और जब ये मिक्स हो जाए, तब इस मिश्रण को एक दूसरे टेस्ट ट्यूब में डालें.
तेल में मिलावट होने परअब इस मिश्रण में 2 एमएल कॉन्सेंट्रेटेड हाइड्रोक्लोरिक एसिड (HCl) डालें. अगर तेल में मिलावट नहीं होगी तो इसके अपर लेयर में रंग में कोई बदलाव नजर नहीं आएगा. वहीं तेल में मिलावट होने पर इसका रंग बदल जाएगा. HCl मिलावटी तेल से मेटानिल यलो जैसे कलर को एक्सट्रैक्ट कर लेता है. मिलावटी तेल में एचीसीएल के सॉल्यूशन से एक अलग एसिड लेयर बनती है जबकि शुद्ध तेल के साथ ऐसा नहीं होता.

उत्तर प्रदेश में डेंगू का कहर, कई जिले प्रभावित

    फिरोजाबाद में डेंगू बुखार से एक सप्ताह में 21 की मौत
    वाराणसी में बढ़ती जा रही डेंगू पीड़ितों की संख्या
    सोनभद्र में बना डेंगू वार्ड, मरीजों के लिए उपलब्ध हैं दवाएं
लखनऊ। डेंगू बुखार में पूरे उत्तर प्रदेश में पांव पसार लिया है। इससे पीड़ितों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। पिछले एक सप्ताह में सिर्फ फिरोजाबाद जिले में करीब 21 लोगों की डेंगू से मौत हो चुकी है। वाराणसी में भी मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है,यहाँ एक ही दिन में 21 डेंगू मरीज मिलर। सोनभद्र में जिला अस्पताल में डेंगू वार्ड बना दिया गया है और संभावित मरीजों के लिए दवाएं सुरक्षित कर ली गई हैं।पूरे उत्तर प्रदेश में मच्छर जनित रोग डेंगू लगातार पांव पसार रहा है। यूपी का शायद ही ऐसा कोई जिला बचा है, जहां डेंगू का असर ना हो। हर जिले में डेंगू के मरीज पाए जा रहे हैं। खासकर बड़े शहरों में स्थिति गंभीर होती जा रही है। फिरोजाबाद में डेंगू बुखार ने कई मोहल्लों में कोहराम मचा दिया है। पिछले 24 घंटे में जहां 10 नए मृतकों के नाम सामने आए हैं, तो वहीं एक सप्ताह के अंदर 21 लोगों की जान चली गयी। डेंगू बुखार के कारण फिरोजाबाद के ऐलान नगर, मुस्ताबाद, नई आबादी, जलेसर मार्ग पर दर्जन भर मोहल्लों में लोग बीमार है। इसी तरह इंद्रा नगर, रहना की पुरानी आबादी, गंगा नगर, आनन्द नगर रैपुरा रोड, हिमायूंपुर, संत नगर, मोहल्ला कोटला, हंस वाहिनी वाली गली आदि में कई बच्चों और बड़ों की मौत हो गई है। इसी तरह से वाराणसी में विभिन्न क्षेत्रों में डेंगू का फैलाव हो गया है। छोटे बच्चों से लेकर बड़ों तक को डेंगू बुखार ने अपनी चपेट में ले लिया है। तमाम प्राइवेट अस्पतालों में लोग पीड़ितों का उपचार करा रहे हैं। वाराणसी के सीएमओ ने लोगों से अपील किया है कि अपने घर के अंदर पानी की लगातार सफाई करें और जलजमाव ना होने दें। इधर सोनभद्र में भी डेंगू से बचाव के लिए प्रशासन ने कमर कस लिया है। जिलाधिकारी अभिषेक सिंह के निर्देश पर मुख्य चिकित्सा अधीक्षक जिला अस्पताल डॉक्टर के कुमार ने जिला अस्पताल परिसर में डेंगू वार्ड अलग से बना दिया है। डॉक्टर के कुमार ने बताया कि अब तक यहां डेंगू का एक भी मरीज भर्ती नहीं हुआ है। फिर भी दवाओं की पर्याप्त उपलब्धता है। जरूरत पड़ने पर मरीजों का आसानी से उपचार हो सकेगा।
    साधारण डेंगू......
इसके मरीज का 2 से 7 दिवस तक तेज बुखार चढता है एवं इसके साथ निम्‍न में से दो या अधिक लक्षण भी साथ में होते हैं।
    ये हैं लक्षण......सिर में आगे की और तेज दर्द।
    आंखों के पीछे दर्द और आंखों के हिलने से दर्द में और तेजी।
    मांसपेशियों (बदन) व जोडों में दर्द।
    स्‍वाद का पता न चलना व भूख न लगना।
    छाती और ऊपरी अंगो पर खसरे जैसे दानें
    चक्‍कर आना।
    जी घबराना उल्‍टी आना।
    शरीर पर खून के चकते एवं खून की सफेद कोशिकाओं की कमी।
    बच्‍चों में डेंगू बुखार के लक्षण बडों की तुलना में हल्‍के होते हैं।
      रक्‍त स्‍त्राव वाला डेंगू (डेंगू हमरेजिक बुखार)
    खून बहने वाले डेंगू बुखार के लक्षण और आघात रक्‍त स्‍त्राव वाला डेंगू में पाये जाने वाले लक्षणों के अतिरिक्‍त निम्‍न लक्षण पाये जाते हैं।
    शरीर की चमडी पीली तथा ठन्‍डी पड जाना।
    नाक, मुंह और मसूडों से खून बहना।
    प्‍लेटलेट कोशिकाओं की संख्‍या 1,00,000 या इससें कम हो जाना।फेंफडों एवं पेट में पानी इकट्ठा हो जाना।
    चमडी में घाव पड जाना।बैचेनी रहना व लगातार कराहना।
    प्‍यास ज्‍यादा लगना (गला सूख जाना)।
    खून वाली या बिना खून वाली उल्‍टी आना।
    सांस लेने में तकलीफ होना।डेंगू शॉक सिन्‍ड्रोम
      ऊपर दिये गये लक्षणों के अलावा अगर मरीज में परिसंचारी खराबी के लक्षण जैसेः-

    नब्‍ज का कमजोर होना व तेजी से चलना।
    रक्‍तचाप का कम हो जाना व त्‍वचा का ठ्न्‍डा पड जाना।
    मरीज को बहुत अधिक बेचैनी महसुस करना।
    पेट में तेज व लगातार दर्द।
    ऊपर की तीन स्थितियों के अनुसार मरीज का यथोचित उपचार प्रारम्‍भ करें।
    मरीज के खून की सीरोलोजिकल एवं वायलोजिकल परीक्षण केवल रोग को सुनिश्चित करती है तथा इनका होना या ना होना मरीज के उपचार में कोई प्रभाव नहीं डालता क्‍योंकि डेंगू एक तरह का वायरल बुखार है, इसके लिये कोई खास दवा या वैक्‍सीन उपलब्‍ध नहीं है।
    उपचार
      प्रारम्भिक बुखार की स्थिति मेः-

    मरीज को आराम की सलाह दें।
    पैरासिटामोल की गोली (24 घन्‍टे में चार बार से अधिक नहीं) उम्र के अनुसार तेज बुखार होने पर देवें।
    एस्‍प्रीन और आईबुप्रोफेन नहीं दी जाएँ ।
    एन्‍टीबायटिक्‍स नहीं दी जायें क्‍योंकि वे इस बीमारी में व्‍यर्थ है।
    मरीज को ओ.आर.एस. दिया जाएँ ।
    भूख के अनुसार पर्याप्‍त मात्रा में भोजन दिया जाएँ ।

नीति आयोग ने दी सितंबर से कोरोना के लहर की चेतावनी

नीति आयोग ने दी सितंबर से कोरोना के लहर की चेतावनी राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान ने भी प्रधानमंत्री कार्यालय को दी रिपोर्ट दिल्ली। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान(NIDM) ने प्रधानमंत्री कार्यालय को अपनी रिपोर्ट में अक्टूबर में कोरोना वायरस की तीसरी वेव के पीक की चेतावनी दी है। उधर नीति आयोग ने कोरोना की तीसरी लहर को लेकर चेतावनी दी है। आयोग ने यह संभावना जताई है कि सितंबर में 4 से 5 लाख कोरोना के केस हर रोज आ सकते हैं। हर 100 कोरोना केस में से 23 को अस्‍पताल में एडमिट कराने की व्‍यवस्‍‍था करनी पड़ सकती है। ऐसे में पहले से ही दो लाख आईसीयू बैड्स तैयार रखने की जरूरत है। द इंडियन एक्सप्रेस की ए‍क रिपोर्ट के मुताबिक, नीति आयोग ने कोरोना की दूसरी लहर के बाद बड़ी संख्या में हॉस्पीटल में कोविड बेड अलग रखने की सिफारिश की है। आयोग का कहना है कि खराब हालात से निपटने के लिए पहले से ही हमें तैयार रहना होगा। इसके लिए सितंबर तक दो लाख आईसीयू बेड को तैयार करने की जरुरत है। इसके साथ ही 1.2 लाख वेंटिलेटर वाले आईसीयू बेड, 7 लाख ऑक्सीजन वाले बेड और 10 लाख कोविड आइसोलेशन केयर बेड होने चाहिए। इससे पहले सितंबर 2020 में भी नीति आयोग ने कोरोना की दूसरी लहर का अनुमान लगाया था। उस समय नीति आयोग ने 100 संक्रमितों में से गंभीर कोविड लक्षणों वाले लगभग 20 मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता बताई थी। लेकिन इस बार अनुमान पिछली बार से काफी अधिक है।