लगातार तीन तेंदुओं की मौत वन्य जीवों की सुरक्षा पर सवाल

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सोनभद्र। लगातार तीन तेंदुओं की मौत जहाँ वन्य जीवों की सुरक्षा पर सवाल खड़ा कर रहे है, वही पर्यावरण को लेकर भी खतरा बढ़ता जा रहा है। कैमूर वन्त जीव प्रभाग में एक माह के ही अंतराल में तीन तेंदुए की मौत हो गयी है।
पीयूसीएल के प्रदेश संगठन सचिव विकास शाक्य ने आज फिर चिरहुली की जंगल मे एक तेंदुए की मौत पर कहा कि सेंचुरी का बफर जोन 10 किलोमीटर लागू होने के बाद ही कैमूर वन्य जीव अभ्यारण में रहने वाले वन्यजीवों को बचाया जा सकता है। श्री शाक्य ने कहा कि कैमूर वन्य जीव अभ्यारण में रहने वाले वन्य जीव उनके विचरण के लिए भारत सरकार ने बफर जोन के नाम पर 10 किलो मीटर रेडियस का स्थान सुरक्षित किया है जिसमे कोई भी गैर वानकी कार्यों को वर्जित किया हुआ है। परंतु जनपद सोनभद्र जहां कैमूर वन्य जीव अभ्यारण मे सोन नदी का बड़ा हिस्सा आता है उसके मध्य भाग मे11 किमी क्षेत्र के सोन नदी में बड़े पैमाने पर बालू खनन करने के लिए कई पट्टे आवंटित कर रखे हैं। पट्टे धारकों द्वारा सोन नदी में नदी के मुख्यधारा को बांधकर पूरे नदी में भारी-भरकम ट्रकों का अंबार लगाकर बालू का खनन बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। यह खनन क्षेत्र कैमूर वन्य जीव अभ्यारण से लगा हुआ है। इस नदी में वन्य जीव जल क्रीड़ा करते और पानी पीते हैं। नदी मे भारी संख्या में ट्रकों के मौजूदगी और ट्रकों से होने वाली ध्वनि प्रदूषण के कारण वन्य जीव बदहवास होकर सड़कों की तरफ भागते हैं जिससे सड़क हादसों का शिकार होकर उनकी मौत हो जा रही है। हाल के दिनों मे एक तेंदुए की मौत सड़क दुर्घटना मे हो गयी थी। बहुत सारे जानवरों की मौत पानी तक न पहुंच पाने के कारण भी हो जा रही है। भारत के राष्ट्रपति द्वारा बफर जोन के सीमा 10 किलोमीटर किया गया है जहां वन्यजीवों का विचरण के लिए सुरक्षित है परंतु जनपद सोनभद्र में पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा 1 किलोमीटर का बफर जोन होने का अधिसूचना जारी कर दिया गया है। इस अधिसूचना जारी होने के बाद खनन पट्टे सोन नदी में और 10 किलोमीटर के सेंचुरी के रेडियस में कई पत्थर खनन आवंटित कर दिया गया है । जिससे वन्यजीवों के ऊपर काफी गहरा प्रभाव पड़ रहा है और लगातार उनकी मौतें हो रही है।कैमूर वाइल्डलाइफ के द्वारा यह स्वीकार्य है कि सोन नदी में घड़ियाल मगरमच्छ और कछुआ तथा अन्य जलीय जीव जंतु के साथ साथ सेंचुरी क्षेत्र मे चितल, तेंदुआ, ब्लेक बक, भालू, लकड़ बघा, लोमड़ी, जयकाल, छिकरा, छिकरा, नीलगाय, जंगली सूअर , जंगली बिल्ली, गोह,अजगर आदि है परन्तु सेंचुरी के बफर जोन 1 किमी मान कर खनन पट्टे आवंटित कर दिए हैं। परिणाम स्वरूप वन्य जीव जंतुओ की मौत होने से पर्यावरण का गंभीर खतरा हो गया है जो एक गंभीर विषय है । उन्होंने कह कि मनुष्य के जीवन पर भी इसका बेहद गंभीर प्रभाव पड़ेगा। पर्यावरण के असंतुलित होने से जनपद सोनभद्र जिस तरह से भारी उद्योगों का स्थान है नदियों का अस्तित्व समाप्त होने से सबका अस्तित्व समाप्त हो जायगा ।सामान्य जन जीवन में काफी गहरा प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहाकि वे पर्यावरण जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के द्वारा 1 किलोमीटर का बफर जोन को निरस्त करा कर उसे 10 किलोमीटर बनाने के लिए और भारत के राष्ट्रपति द्वारा गजट को लागू कराने के लिए पुरजोर तरीके से कानूनी लड़ाई लड़ेंगे। तीन तेंदुओं की मौत वन्य जीवों की सुरक्षा पर सवाल
सोनभद्र। लगातार तीन तेंदुओं की मौत जहाँ वन्य जीवों की सुरक्षा पर सवाल खड़ा कर रहे है, वही पर्यावरण को लेकर भी खतरा बढ़ता जा रहा है। कैमूर वन्त जीव प्रभाग में एक माह के ही अंतराल में तीन तेंदुए की मौत हो गयी है।
पीयूसीएल के प्रदेश संगठन सचिव विकास शाक्य ने आज फिर चिरहुली की जंगल मे एक तेंदुए की मौत पर कहा कि सेंचुरी का बफर जोन 10 किलोमीटर लागू होने के बाद ही कैमूर वन्य जीव अभ्यारण में रहने वाले वन्यजीवों को बचाया जा सकता है। श्री शाक्य ने कहा कि कैमूर वन्य जीव अभ्यारण में रहने वाले वन्य जीव उनके विचरण के लिए भारत सरकार ने बफर जोन के नाम पर 10 किलो मीटर रेडियस का स्थान सुरक्षित किया है जिसमे कोई भी गैर वानकी कार्यों को वर्जित किया हुआ है। परंतु जनपद सोनभद्र जहां कैमूर वन्य जीव अभ्यारण मे सोन नदी का बड़ा हिस्सा आता है उसके मध्य भाग मे11 किमी क्षेत्र के सोन नदी में बड़े पैमाने पर बालू खनन करने के लिए कई पट्टे आवंटित कर रखे हैं। पट्टे धारकों द्वारा सोन नदी में नदी के मुख्यधारा को बांधकर पूरे नदी में भारी-भरकम ट्रकों का अंबार लगाकर बालू का खनन बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। यह खनन क्षेत्र कैमूर वन्य जीव अभ्यारण से लगा हुआ है। इस नदी में वन्य जीव जल क्रीड़ा करते और पानी पीते हैं। नदी मे भारी संख्या में ट्रकों के मौजूदगी और ट्रकों से होने वाली ध्वनि प्रदूषण के कारण वन्य जीव बदहवास होकर सड़कों की तरफ भागते हैं जिससे सड़क हादसों का शिकार होकर उनकी मौत हो जा रही है। हाल के दिनों मे एक तेंदुए की मौत सड़क दुर्घटना मे हो गयी थी। बहुत सारे जानवरों की मौत पानी तक न पहुंच पाने के कारण भी हो जा रही है। भारत के राष्ट्रपति द्वारा बफर जोन के सीमा 10 किलोमीटर किया गया है जहां वन्यजीवों का विचरण के लिए सुरक्षित है परंतु जनपद सोनभद्र में पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा 1 किलोमीटर का बफर जोन होने का अधिसूचना जारी कर दिया गया है। इस अधिसूचना जारी होने के बाद खनन पट्टे सोन नदी में और 10 किलोमीटर के सेंचुरी के रेडियस में कई पत्थर खनन आवंटित कर दिया गया है । जिससे वन्यजीवों के ऊपर काफी गहरा प्रभाव पड़ रहा है और लगातार उनकी मौतें हो रही है।कैमूर वाइल्डलाइफ के द्वारा यह स्वीकार्य है कि सोन नदी में घड़ियाल मगरमच्छ और कछुआ तथा अन्य जलीय जीव जंतु के साथ साथ सेंचुरी क्षेत्र मे चितल, तेंदुआ, ब्लेक बक, भालू, लकड़ बघा, लोमड़ी, जयकाल, छिकरा, छिकरा, नीलगाय, जंगली सूअर , जंगली बिल्ली, गोह,अजगर आदि है परन्तु सेंचुरी के बफर जोन 1 किमी मान कर खनन पट्टे आवंटित कर दिए हैं। परिणाम स्वरूप वन्य जीव जंतुओ की मौत होने से पर्यावरण का गंभीर खतरा हो गया है जो एक गंभीर विषय है । उन्होंने कह कि मनुष्य के जीवन पर भी इसका बेहद गंभीर प्रभाव पड़ेगा। पर्यावरण के असंतुलित होने से जनपद सोनभद्र जिस तरह से भारी उद्योगों का स्थान है नदियों का अस्तित्व समाप्त होने से सबका अस्तित्व समाप्त हो जायगा ।सामान्य जन जीवन में काफी गहरा प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहाकि वे पर्यावरण जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के द्वारा 1 किलोमीटर का बफर जोन को निरस्त करा कर उसे 10 किलोमीटर बनाने के लिए और भारत के राष्ट्रपति द्वारा गजट को लागू कराने के लिए पुरजोर तरीके से कानूनी लड़ाई लड़ेंगे।